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ग्लूकोमा और इसके लक्षण

ग्लूकोमा और इसके लक्षण

ग्लूकोमा को काले मोतिया के नाम से भी जाना जाता है। अधिक उम्र के लोगों की आंखों की यह समस्‍या आम है। लेकिन, आंखों का हर रोग ग्‍लूकोमा नहीं होता। ग्लूकोमा आंख में होने वाली एक दशा है, जिसमे ऑप्टिक तंत्रिका में नुकसान होने की वजह से दृष्टि को हानि होती है। ऑप्टिक तंत्रिका दृष्टि की सूचना को दिमाग तक ले कर जाती है। ज्यादातर दशाओं में ऑप्टिक तंत्रिका में क्षति तब होती है जब आंख के सामने वाले हिस्से में द्रव्य का दवाब बढ़ जाता है।

ग्लूकोमा आंखों की एक आम समस्या है। आमतौर पर ग्लूकोमा के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना काफी मुश्किल होता है, लेकिन जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता जाता है आंखों की ऊपरी सतह और देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती हैं। कई बार काला मोतिया गंभीर हो जाता है, जिस कारण अंधापन भी हो सकता है।
यह बहुत महत्वपूर्ण हैं कि आप ग्लूकोमा की पहचान प्रारंभिक अवस्था में ही कर लें क्योंकि एक बार ग्लूकोमा पूरी तरह होने के बाद इसको ठीक करना काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन समय रहते यदि ग्लूकोमा के लक्षणों को पहचान लिया जाए तो मरीज को नेत्रहीन होने से बचाया जा सकता है।

 

ग्लूकोमा के लक्षण : 

चश्‍मे का नंबर बदलना
चश्मे का नंबर बार-बार बदलना,
अंधेरे में देर से नजर आना,
रोशनी में अलग-अलग रंग दिखना ग्लूकोमा के संकेत हो सकते हैं।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जानकारी के अभाव में लोगों को इस बीमारी का पता देर से चलता है और तब तक यह बीमारी लाइलाज हो चुकी होती है। ग्लूकोमा को ‘साइलेंट साइट स्नैचर’ भी कहा जाता है क्योंकि इसकी वजह से आंखों को होने वाली क्षति गंभीर होती है।

शुरुआत में ही जांच जरूरी

ग्लूकोमा का शुरुआती अवस्था में पता लगाने के लिए जरूरी है कि आप समय-समय पर अपनी आंखों की जांच कराएं। 40 वर्ष की आयु के बाद आपके लिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि आप किसी अच्छे नेत्र विशेषज्ञ से आंखों की नियमित जांच करवाते रहें। इस नियमित जांच में विजन टेस्ट भी शामिल होना चाहिए। इसके अलावा आई प्रेशर मेजरमेंट और कम रोशनी में आंखों के रेटिना, ऑप्टिक नर्व इत्यादि का परीक्षण करवाते रहना भी जरूरी होता है।

कैसे होता है ग्लूकोमा का उपचार:  ग्लूकोमा का उपचार दवाओं यथा आई ड्रॉप, लेजर सर्जरी और परंपरागत सर्जरी या इन सभी विधियों से किया जाता है.
ग्लूकोमा का इलाज का लक्ष्य दृष्टि को होने वाले नुकसान से बचाना है.

ट्रैबेक्युलेक्टॅमी: जब ग्लूकोमा दवाओं और लेजर उपचार के द्वारा कम नहीं या रोका नहीं जा सकता है तब चिकित्सक पारंपरिक सर्जरी की सलाह देते हैं. इनमें से एक सामान्य ऑपरेशन को ट्रैबेक्युलेक्टॅमी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल ओपन एंगल और क्लोज एंगल ग्लूकोमा में होता है.

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