Anantwar Eye Hospital in Nagpur, Phaco Cataract surgery / Lasik Laser Surgery In Nagpur, Retina Surgery In Nagpur, Squint Surgery In Nagpur.

सफेद मोतिया (मोतियाबिंद) कारण और इलाज

सफेद मोतिया (मोतियाबिंद) कारण और इलाज।

जब उम्र बढ़ने के साथ एक ख़ास उम्र में आपकी आँख का लेंस धुंधला पड़ जाता है और बीनाई (विजन आपका, नजर आपकी) कमज़ोर पड़ने लगती है तब इस स्थिति को कहा जाता है सफ़ेद मोतिया

क्यों हो जाता है नेत्र लेंस गन्दला (क्लाउडी)?
दरअसल लेंस में एक प्रोटीन बढ़ने लगता है जो इसे मेघाछन्न (क्लाउडी) बना देता है. नतीजे के तौर पर अब इससे निर्बाधरूप प्रकाश नहीं वर्तित (रिफ्रेक्ट) हो पाता है

शुरूआती दौर में लेंस अनियमित तौर पर प्रकाश को मोड़ने (अपवर्तित करने) लगता है नतीज़न बीनाई के चश्मों (रीडिंग ग्लास) का नम्बर बढ़ने लगता है.

सफ़ेद मोतिया – इसका कारण

  • अपचयन सम्बन्धी विकार (Metabolic disorders)
  • मधुमेह जैसे रोग भी हवा दे सकते हैं.
  • बे-इन्तहा धूप में समय बिताने की मजबूरी,
  • बेहद शराब का सेवन,
  • साथ में धूम्रपान करना भी सफ़ेद मोतिया की वजह बनता है.
  • अलबत्ता आँख में आई चोट भी इसकी वजह बन सकती है.

सफ़ेद मोतिया के लक्षण (Symptoms of Cataract):
रोजमर्रा के जीवन को असर ग्रस्त कर सकता है सफ़ेद मोतिया. इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • साफ़ दिखलाई न देना.
  • रंगों को देखने की क्षमता का असरग्रस्त हो जाना क्योंकि लेंस एक फ़िल्टर का काम कम करने लगता है सफ़ेद मोतिया होने पर.
  • रात को गाड़ी चलाते वक्त सामने से आते वाहन की रौशनी से आँखों का चुंधिया (चौन्धिया) जाना. इसी चुभने वाली तेज़ रौशनी की वजह से रात को गाड़ी चलाना जोखिम का काम हो जाता है.
  • डबल विजन (Diplopia) बोले तो एक ही वस्तु की दो दिखलाई देना एक के ऊपर एक या फिर एक की बगल में दूसरी कभी कभार विकर्ण रेखी (डायागनली, Diagonally) भी.
  • चश्मे का नम्बर यकायक बदलना.

सफेद मोतिया का इलाज (Treatment of Cataract):
शल्य चिकित्सा ही करवानी चाहिए सफ़ेद मोतिया होने पर. किसी भी और के झांसे में न आएं. नीम हकीम बहुत हैं आपके आसपास.
शल्य के दौरान सर्जन (शल्यक, जर्राह) गंदले लेंस को हटाकर उसके स्थान पर आँख के भीतर ही अंत: नेत्रलेंस फिट (प्रत्यारोपित) कर देता है.
बेशक आपको चंद रोज़ अभी भी चश्मे लगाने पड़ सकते हैं लेकिन जल्दी ही आपकी नजर (बीनाई) सफ़ेद मोतिया से पहले, जैसी थी, वैसी ही, हो जायेगी.
सफ़ेद मोतिया के शल्य में आई तेज़ी ने अब चश्मों से निजात दिलवा ही दी है. तरह तरह की सर्जरी काम में ली जाती है सफ़ेद मोतिया के इलाज़ में.

अति शूक्ष्म चीरे वाला शल्य (Micro Incision Phaco-Cataract Surgery):

  1. लगभग 2 मिलीमीटर का चीरा ही अब लगाया जाता है.
  2. गन्दला चुके लेंस को टुकड़ा टुकड़ा करके निकालने के लिए अब एक अल्ट्रासाउंड युक्ति काम में ली जाती है. इसे फेंको-इमलसीफिकेशन (Phoco emulsification) कहा जाता है.
    अब एक सहज मोड़ने योग्य फोल्ड जो हो सके अपने ही ऊपर ऐसा एक लेंस आँख में अन्दर ही फिट कर दिया जाता है. इसे अंत: नेत्र लेंस (Intra Ocular Lens, IOL) कहा जाता है.
  3. अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता है.
  4. न कोई सीवन, न रक्त स्राव न पीड़ा, ऐसे जाओ ऐसे वापस आओ.
  5. तेज़ी से ठीक हो जाती है आपकी आँख सर्जरी के बाद.

कब करवाई जाए सफ़ेद मोतिया की सर्जरी?
जैसे ही सफ़ेद मोतिया आपकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में व्यवधान डाले वैसे ही सर्जरी करवा लें. मोतिया के पकने का इंतज़ार न करें.
जितना आप इंतज़ार करेंगें उसी अनुपात में शल्य भी पेचीला हो जाएगा. बीनाई भी ज्यादा असर ग्रस्त होती जायेगी. वक्त जाया न कीजिए.


अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे –
डॉ. अनंतवार
अनंतवार ऑय हॉस्पिटल
पॉवरग्रिड चौक नागपुर
‭+91 80879 93722

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